बीनाई भी क्या क्या धोके देती है
दूर से देखो सारे दरिया नीले हैं
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Gulzar
Jaun Eliya
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Habib Jalib
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(539) Peoples Rate This
हाथ आता तो नहीं कुछ प तक़ाज़ा कर आएँ
मौत ने सारी रात हमारी नब्ज़ टटोली
कभी ख़ुद को छू कर नहीं देखता हूँ
इंतिहा तक बात ले जाता हूँ मैं
भीड़ में जब तक रहते हैं जोशीले हैं
नींद के वास्ते वैसे भी ज़रूरी है थकन
बहरूपिया
पहली बार वो ख़त लिक्खा था
वो बकरा फिर अकेला पड़ गया है
निगाह नीची हुई है मेरी
ख़्वाब वैसे तो इक इनायत है
वो बस्ती ना-ख़ुदाओं की थी लेकिन