ज़िंदगी से कोई मानूस तो हो ले पहले
ज़िंदगी ख़ुद ही सिखा देगी उसे काम की बात
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यास
उस के नाम
आरज़ू
'शौकत' वो आज आप को पहचान तो गए
उन की निगाह-ए-नाज़ की गर्दिश के साथ साथ
दिल पर असर-ए-ख़्वाब है हल्का हल्का
जुरअत हो तो दुनिया से बग़ावत कर लो
बर्क़ की शो'ला-मिज़ाजी है मुसल्लम लेकिन
मेरे महबूब मिरे दिल को जलाया न करो
ना-शनासान-ए-मुहब्बत का गिला क्या कि यहाँ
ये कैसी बे-क़रारी सुनने वालों के दिलों में है
ऐ इंक़लाब-ए-नौ तिरी रफ़्तार देख कर