दिल पर असर-ए-ख़्वाब है हल्का हल्का
जैसे कोई पैमाना हो छलका छलका
आँखों के लिए मरकज़-ए-रानाई है
आँचल तिरे शानों पे ये ढलका ढलका
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अंजाम-ए-विसाल
ए'तिबार
हवाएँ रोक न पाईं भँवर डुबो न सके
बर्क़ की शो'ला-मिज़ाजी है मुसल्लम लेकिन
कुछ तो फ़ितरत से मिली दानाई
फिर कोई जश्न मनाओ कि हँसी आ जाए
मेरे महबूब मिरे दिल को जलाया न करो
एहसास की लज़्ज़त के क़रीब आ जाओ
जुरअत हो तो दुनिया से बग़ावत कर लो
मुझ को जहाँ में कोई दिल-आरा नहीं मिला
ऐ इंक़लाब-ए-नौ तिरी रफ़्तार देख कर
शुऊ'र-ए-कैफ़-ओ-ख़ुशी है ज़रा ठहर जाओ