ज़ौक़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़ौक़ (page 5)
नाम | ज़ौक़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Sheikh Ibrahim Zauq |
जन्म की तारीख | 1790 |
मौत की तिथि | 1854 |
जन्म स्थान | Delhi |
दिखला न ख़ाल-ए-नाफ़ तू ऐ गुल-बदन मुझे
दरिया-ए-अश्क चश्म से जिस आन बह गया
चुपके चुपके ग़म का खाना कोई हम से सीख जाए
चश्म-ए-क़ातिल हमें क्यूँकर न भला याद रहे
बज़्म में ज़िक्र मिरा लब पे वो लाए तो सही
बर्क़ मेरा आशियाँ कब का जला कर ले गई
बलाएँ आँखों से उन की मुदाम लेते हैं
बाग़-ए-आलम में जहाँ नख़्ल-ए-हिना लगता है
बादाम दो जो भेजे हैं बटवे में डाल कर
अज़ीज़ो इस को न घड़ियाल की सदा समझो
ऐ 'ज़ौक़' वक़्त नाले के रख ले जिगर पे हाथ
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे
आते ही तू ने घर के फिर जाने की सुनाई
आँखें मिरी तलवों से वो मिल जाए तो अच्छा
आँख उस पुर-जफ़ा से लड़ती है