देखो न ज़ात पात न नाम-ओ-नसब 'शिफ़ा'
पर दोस्त जब बनाओ तो किरदार देख कर
Rahat Indori
Anwar Masood
Parveen Shakir
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Gulzar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
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हवा भी गर्म है छाए हैं सुर्ख़ बादल क्यूँ
न है उस को मुझ से ग़फ़लत न वो ज़िम्मेदार कम है
वो जो मुझ से ख़फ़ा नहीं होता
दुश्मनी वो लाए हैं दोस्ती के दामन में
तअल्लुक़ात चटख़्ते हैं टूट जाते हैं
ग़ैर से किया गिला करे कोई
बचपन में शौक़ से जो घरौंदे बनाए थे
जिन के फ़ुटपाठ पे घर पाँव में छाले होंगे