जाने वाले कभी नहीं आते
जाने वालों की याद आती है
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शौक़ की नुक्ता-दानियाँ न गईं
अहल-ए-हिम्मत को बलाओं पे हँसी आती है
ख़ुदा शाहिद है मेरे भूलने वाले ब-जुज़ तेरे
नज़र नीची है यार-ए-ख़ुश-नज़र की
रंग लाया दिवाना-पन मेरा
शमीम-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार आए न आए
होश ओ ख़िरद से बेगाना बन जा
ख़ुशी याद आई न ग़म याद आए
शमीम ज़ुल्फ़-ए-यार आए न आए
दिल की बस्ती अजीब बस्ती है
तिरे आते ही सब दुनिया जवाँ मालूम होती है