दिल ले गया है मुझ कूँ दे उम्मीद-ए-दिल-दही
ज़ालिम कभी तो लाएगा मेरा लिया हुआ
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जब सें तुझ इश्क़ की गरमी का असर है मन में
क्या बला का है नशा इश्क़ के पैमाने में
'सिराज' इन ख़ूब-रूयों का अजब मैं क़ाएदा देखा
ग़म ने बाँधा है मिरे जी पे खला हाए खला
हम हैं मुश्ताक़-ए-जवाब और तुम हो उल्फ़त सीं बईद
जलव-ए-जाँ-फ़ज़ा दिखाता रह
जिस कूँ तुझ ग़म सीं दिल-शिगाफ़ी है
बुत-परस्तों कूँ है ईमान-ए-हक़ीक़ी वस्ल-ए-बुत
तुझ ज़ुल्फ़ में दिल ने गुम किया राह
मरहम तिरे विसाल का लाज़िम है ऐ सनम
तिरे सलाम के धज देख कर मिरे दिल ने
आई है तिरे इश्क़ की बाज़ी दिल-ओ-जाँ पर