दिल में आ राह-ए-चश्म-ए-हैराँ सीं
खुल रहे हैं मिरी पलक के पाट
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हिरन सब हैं बराती और दिवाना बन का दूल्हा है
मरहम तिरे विसाल का लाज़िम है ऐ सनम
नयन की पुतली में ऐ सिरीजन तिरा मुबारक मक़ाम दिस्ता
कौन कहता है जफ़ा करते हो तुम
बात कर दिल सती हिजाब निकाल
हम हैं मुश्ताक़-ए-जवाब और तुम हो उल्फ़त सीं बईद
माइल हूँ गुल-बदन का मुझे गुल सीं क्या ग़रज़
उश्शाक़ का दिल दाग़ का अंदाज़ा हुआ महज़
तिरे सुख़न में ऐ नासेह नहीं है कैफ़िय्यत
हर हर वरक़ पे क्यूँ कि लिखूँ दास्तान-ए-हिज्र
जिस ने तुझ हुस्न पर निगाह किया
काफ़िर हुआ हूँ रिश्ता-ए-ज़ुन्नार की क़सम