आँसू हैं कफ़न-पोश सितारे हैं कफ़न-रंग
लो चाक किए देते हैं दामान-ए-सहर हम
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मिला-दिला सही इक ख़ुश्क हार बाक़ी है
अजब सूरत से दिल घबरा रहा है
जान सी शय की मुझे इश्क़ में कुछ क़द्र नहीं
जलती रहना शम-ए-हयात
रात भर शम्अ' जलाता हूँ बुझाता हूँ 'सिराज'
इस दिल में तो ख़िज़ाँ की हवा तक नहीं लगी
कुछ और माँगना मेरे मशरब में कुफ़्र है
ये एक लड़ी के सब छिटके हुए मोती हैं
न कुरेदूँ इश्क़ के राज़ को मुझे एहतियात-ए-कलाम है
सज्दा-ए-इश्क़ पे तन्क़ीद न कर ऐ वाइ'ज़
टकराऊँ क्यूँ ज़माने से क्या फ़ाएदा 'सिराज'
न मोहतसिब की ख़ुशामद न मय-कदे का तवाफ़