मिल मालिक के कुत्ते भी चर्बीले हैं
लेकिन मज़दूरों के चेहरे पीले हैं
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तेरी तो आन बढ़ गई मुझ को नवाज़ कर
ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले ले
उठा लेता है अपनी एड़ियाँ जब साथ चलता है
अब तक मिरे आ'साब पे मेहनत है मुसल्लत
दिहात के वजूद को क़स्बा निगल गया
औरत को समझता था जो मर्दों का खिलौना
आज इतना जलाओ कि पिघल जाए मिरा जिस्म
छत की कड़ियाँ जाँच ले दीवार-ओ-दर को देख ले
मैं अपने बचपने में छू न पाया जिन खिलौनों को
बेटे को सज़ा दे के अजब हाल हुआ है