हम ने आलम से बेवफ़ाई की
एक माशूक़-ए-बेवफ़ा के लिए
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Wasi Shah
Anwar Masood
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(428) Peoples Rate This
बेजा है तिरी जफ़ा का शिकवा
ज़ब्त की कोशिश है जान-ए-ना-तवाँ मुश्किल में है
क्या है कि आज चलते हो कतरा के राह से
कहते हो अब मिरे मज़लूम पे बेदाद न हो
संग-ए-तिफ़्लाँ फ़िदा-ए-सर न हुआ
और इशरत की तमन्ना क्या करें
उठा लेने से तो दिल के रहा मैं
नालों से अगर मैं ने कभी काम लिया है
जो तुझ से शोर-ए-तबस्सुम ज़रा कमी होगी
हर चंद 'वहशत' अपनी ग़ज़ल थी गिरी हुई
ज़माना भी मुझ से ना-मुवाफ़िक़ मैं आप भी दुश्मन-ए-सलामत
आज़ाद उस से हैं कि बयाबाँ ही क्यूँ न हो