तू है और ऐश है और अंजुमन-आराई है
मैं हूँ और रंज है और गोशा-ए-तन्हाई है
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जान उस की अदाओं पर निकलती ही रहेगी
और इशरत की तमन्ना क्या करें
सच कहा है कि ब-उम्मीद है दुनिया क़ाइम
बढ़ चली है बहुत हया तेरी
तल्ख़ी-कश-ए-नौमीदी-ए-दीदार बहुत हैं
आँख में जल्वा तिरा दिल में तिरी याद रहे
दिल के कहने पे चलूँ अक़्ल का कहना न करूँ
किस नाम-ए-मुबारक ने मज़ा मुँह को दिया है
दोनों ने बढ़ाई रौनक़-ए-हुस्न
जो तुझ से शोर-ए-तबस्सुम ज़रा कमी होगी
ऐ अहल-ए-वफ़ा ख़ाक बने काम तुम्हारा
नालों से अगर मैं ने कभी काम लिया है