सच कहा है कि ब-उम्मीद है दुनिया क़ाइम
दिल-ए-हसरत-ज़दा भी तेरा तमन्नाई है
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आप अपना रू-ए-ज़ेबा देखिए
उस दिल-नशीं अदा का मतलब कभी न समझे
तुम्हारा मुद्दआ ही जब समझ में कुछ नहीं आया
मेरा मक़्सद कि वो ख़ुश हों मिरी ख़ामोशी से
यहाँ हर आने वाला बन के इबरत का निशाँ आया
और इशरत की तमन्ना क्या करें
शर्मिंदा किया जौहर-ए-बालिग़-नज़री ने
कठिन है काम तो हिम्मत से काम ले ऐ दिल
इस ज़माने में ख़मोशी से निकलता नहीं काम
बज़्म में उस बे-मुरव्वत की मुझे
रुख़-ए-रौशन से यूँ उट्ठी नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता