जब पुराना लहजा खो देता है अपनी ताज़गी
इक नई तर्ज़-ए-नवा ईजाद कर लेते हैं हम
Wasi Shah
Allama Iqbal
Gulzar
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Rahat Indori
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
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इस तरह से कश्ती भी कोई पार लगे है
रहना तुम चाहे जहाँ ख़बरों में आते रहना
इक हल्क़ा-ए-अहबाब है तन्हाई भी उस की
किस ने बसाया था और उन को किस ने यूँ बर्बाद किया
कार्ल मार्क्स
यक़ीनन आ गया है मय-कदे में तिश्ना-लब कोई
हालात से फ़रार की क्या जुस्तुजू करें
तुझ से मिल कर दिल में रह जाती है अरमानों की बात
भूका बंगाल
फ़नकार के काम आई न कुछ दीदा-वरी भी
ज़मीर
सुर्ख़ दामन में शफ़क़ के कोई तारा तो नहीं