शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ
कीजे मुझे क़ुबूल मिरी हर कमी के साथ
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तिरे ख़याल के हाथों कुछ ऐसा बिखरा हूँ
तेरी याद
क्या बताऊँ कैसा ख़ुद को दर-ब-दर मैं ने किया
जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है बरसों से
कोई इशारा दिलासा न कोई व'अदा मगर
ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं
दूर से ही बस दरिया दरिया लगता है
कुछ इतना ख़ौफ़ का मारा हुआ भी प्यार न हो
तहरीर से वर्ना मिरी क्या हो नहीं सकता
दुआ करो कि कोई प्यास नज़्र-ए-जाम न हो
अपने अंदाज़ का अकेला था
कुछ है कि जो घर दे नहीं पाता है किसी को