साफ़ जज़्बों के हवाले से तो ग़म हैं लेकिन
एक लम्हे की ख़ुशी एक सदी रहती है
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Rahat Indori
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Habib Jalib
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(764) Peoples Rate This
बात पहुँचे समाअत को तासीर दे किस तरह
दर्द बहता है दरिया के सीने में पानी नहीं
देख लेते हैं अंधेरे में भी रस्ता अपना
इक नदी में सैकड़ों दरिया की तुग़्यानी मिली
उजाला अपने घरौंदे में रह गया तो रात
जल्द मंज़िल तक पहुँचने का जुनूँ उस को रहा
धूप निकली कभी बादल से ढकी रहती है
मेरे अंदर का ग़ुरूर अंदर गुज़रता रह गया
भले ही आँख मिरी सारी रात जागेगी
जीवन का संगीत अचानक अंतिम सुर को छू लेता है
साहिल पर दरिया की लहरें सज्दा करती रहती हैं