जीवन का संगीत अचानक अंतिम सुर को छू लेता है
हँसता ही रहता है फिर भी मेरे अंदर मरने वाला
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Anwar Masood
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Parveen Shakir
Gulzar
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मेरे अंदर का ग़ुरूर अंदर गुज़रता रह गया
साहिल पर दरिया की लहरें सज्दा करती रहती हैं
इक नदी में सैकड़ों दरिया की तुग़्यानी मिली
क्या जाने कब धरती पर सैलाब का मंज़र हो जाए
देख लेते हैं अंधेरे में भी रस्ता अपना
साफ़ जज़्बों के हवाले से तो ग़म हैं लेकिन
जल्द मंज़िल तक पहुँचने का जुनूँ उस को रहा
दर्द बहता है दरिया के सीने में पानी नहीं
धूप निकली कभी बादल से ढकी रहती है
बात पहुँचे समाअत को तासीर दे किस तरह
उजाला अपने घरौंदे में रह गया तो रात