Ghazals of Zain-ul-Abideen Khan Arif

Ghazals of Zain-ul-Abideen Khan Arif
नामज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़
अंग्रेज़ी नामZain-ul-Abideen Khan Arif
जन्म स्थानDelhi

वहशत में याद आए है ज़ंजीर देख कर

उस पे करना मिरे नालों ने असर छोड़ दिया

सब से बेहतर है कि मुझ पर मेहरबाँ कोई न हो

रात याद-ए-निगह-ए-यार ने सोने न दिया

क़ाइल भला हों नामा-बरी में सबा के ख़ाक

ना-तवानी में पलक को भी हिलाया न गया

न पर्दा खोलियो ऐ इश्क़ ग़म में तू मेरा

न आए सामने मेरे अगर नहीं आता

क्यूँ आईने में देखा तू ने जमाल अपना

क्या कहें हम थे कि या दीदा-ए-तर बैठ गए

जहाँ से दोश-ए-अज़ीज़ाँ पे बार हो के चले

इस दर पे मुझे यार मचलने नहीं देते

हम को उस शोख़ ने कल दर तलक आने न दिया

हर घड़ी चलती है तलवार तिरे कूचे में

अच्छा हुआ कि दम शब-ए-हिज्राँ निकल गया

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