अब्दुल अहद साज़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अब्दुल अहद साज़ (page 4)
नाम | अब्दुल अहद साज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdul Ahad Saaz |
जन्म की तारीख | 1950 |
जन्म स्थान | Mumbai |
जीतने मारका-ए-दिल वो लगातार गया
जैसे कोई दायरा तकमील पर है
जब तक शब्द के दीप जलेंगे सब आएँगे तब तक यार
जाने क़लम की आँख में किस का ज़ुहूर था
हम अपने ज़ख़्म कुरेदते हैं वो ज़ख़्म पराए धोते थे
हिसार-ए-दीद में जागा तिलिस्म-ए-बीनाई
हसरत-ए-दीद नहीं ज़ौक़-ए-तमाशा भी नहीं
हर इक लम्हे की रग में दर्द का रिश्ता धड़कता है
हर इक धड़कन अजब आहट
हद-ए-उफ़ुक़ पर सारा कुछ वीरान उभरता आता है
घुल सी गई रूह में उदासी
इक ईमा इक इशारा मर रहा है
दूर से शहर-ए-फ़िक्र सुहाना लगता है
दिखाई देने के और दिखाई न देने के दरमियान सा कुछ
दरख़्त रूह के झूमे परिंद गाने लगे
बुझ गई आग तो कमरे में धुआँ ही रखना
बे-मसरफ़ बे-हासिल दुख
बंद फ़सीलें शहर की तोड़ें ज़ात की गिरहें खोलें
बजा कि पाबंद-ए-कूचा-ए-नाज़ हम हुए थे
बजा कि पाबंद-ए-कूचा-ए-नाज़ हम हुए थे
बजा कि लुत्फ़ है दुनिया में शोर करने का
बहुत मलूल बड़े शादमाँ गए हुए हैं
बद-सोहबतों को छोड़ शरीफ़ों के साथ घूम
बातिन से सदफ़ के दुर-ए-नायाब खुलेंगे
अज़दवाजी ज़िंदगी भी और तिजारत भी अदब भी
अबस है राज़ को पाने की जुस्तुजू क्या है
आज फिर शब का हवाला तिरी जानिब ठहरे