तीरगी के घने हिजाबों में
दूर के चाँद झिलमिलाते हैं
ज़िंदगी की उदास रातों में
बेवफ़ा दोस्त याद आते हैं
Habib Jalib
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Javed Akhtar
Rahat Indori
Jaun Eliya
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थोड़ी सी अक़्ल लाए थे हम भी मगर 'अदम'
जिन को दौलत हक़ीर लगती है
सूरत के आइने में दिल-ए-पाएमाल देख
छेड़ो तो उस हसीन को छेड़ो जो यार हो
और अरमान इक निकल जाता
साहिल पे इक थके हुए जोगी की बंसरी
मैं और उस ग़ुंचा-दहन की आरज़ू
काफ़ी वसीअ सिलसिला-ए-इख़्तियार है
ऐ दोस्त मोहब्बत के सदमे तन्हा ही उठाने पड़ते हैं
बस इस क़दर है ख़ुलासा मिरी कहानी का
वो अहद-ए-जवानी वो ख़राबात का आलम
बारिश शराब-ए-अर्श है ये सोच कर 'अदम'