Ghazals of Abid Malik
नाम | आबिद मलिक |
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अंग्रेज़ी नाम | Abid Malik |
कविताएं
Ghazal 11
Couplets 10
Qita 8
Love 9
Sad 9
Heart Broken 11
Hope 3
Friendship 2
Islamic 2
बारिश 1
ख्वाब 4
ये कार-ए-ख़ैर है इस को न कार-ए-बद समझो
शहर से जब भी कोई शहर जुदा होता है
मैं ने लोगों को न लोगों ने मुझे देखा था
क्यूँ चलती ज़मीं रुकी हुई है
कौन कहता है कि वहशत मिरे काम आई है
हज़ार ता'ने सुनेगा ख़जिल नहीं होगा
गले लगाए मुझे मेरा राज़दाँ हो जाए
इक अजनबी की तरह है ये ज़िंदगी मिरे साथ
दश्त में उस का आब-ओ-दाना है
आसूदगान-ए-हिज्र से मिलने की चाह में
आख़िरी बार ज़माने को दिखाया गया हूँ