बिकता तो नहीं हूँ न मिरे दाम बहुत हैं
रस्ते में पड़ा हूँ कि उठा कोई आ कर
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सदाएँ एक सी यकसानियत में डूब जाती हैं
आँखों में आँसुओं को उभरने नहीं दिया
उसी एक फ़र्द के वास्ते मिरे दिल में दर्द है किस लिए
इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा
ग़म है वहीं प ग़म का सहारा गुज़र गया
किसी झूटी वफ़ा से दिल को बहलाना नहीं आता
हम बहर हाल दिल ओ जाँ से तुम्हारे होते
मेरे रस्ते में भी अश्जार उगाया कीजे
बड़ा वीरान मौसम है कभी मिलने चले आओ
चल दिया वो देख कर पहलू मिरी तक़्सीर का
ऐसा भी नहीं उस से मिला दे कोई आ कर
मैं दरिया हूँ मगर बहता हूँ मैं कोहसार की जानिब