दुनिया से अलैहदगी का रास्ता
दुनिया से निबाह कर के देखा
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कब तक साथ निभाता आख़िर
दिलों के बाब में क्या दख़्ल 'आफ़्ताब-हुसैन'
गए मंज़रों से ये क्या उड़ा है निगाह में
खिला रहेगा किसी याद के जज़ीरे पर
ज़रा सी देर को चमका था वो सितारा कहीं
दिल भी आप को भूल चुका है
किसी नज़र ने मुझे जाम पर लगाया हुआ है
कहाँ किसी पे ये एहसान करने वाला हूँ
कमी रखता हूँ अपने काम की तकमील में
अना को बाँधता रहता हूँ अपने शे'रों में
पते की बात भी मुँह से निकल ही जाती है
कभी जो रास्ता हमवार करने लगता हूँ