जिन्हें ज़मीर की दौलत ख़ुदा ने बख़्शी है
उन्हें ख़रीद न पाएँगे सल्तनत वाले
हर एक शख़्स उठाए है हाथ में पत्थर
कहाँ क़याम करें आइनों के मतवाले
Habib Jalib
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
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Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Jaun Eliya
Anwar Masood
Javed Akhtar
Parveen Shakir
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दर-ब-दर भटका करेंगे रास्ता ढूँडेंगे लोग
ग़मों का एक तूफ़ाँ दिल के अंदर शोर करता है
जो मिरी आरज़ू नहीं करता
किसी की याद रुलाये तो क्या किया जाए
ये काएनात मुनव्वर है तेरे जल्वों से
अपनी तन्हाइयों के ग़ार में हूँ
हिज्र के मारों की तक़दीर भी क्या होती है
अब भी रातें मिरी महकती हैं
सुलगती रेत पे तहरीर जो कहानी है
क्या कभी उस से मुलाक़ात हुई है तेरी
ये कौन आया है गुलशन में ताज़गी ले कर
यादों के नशेमन को जलाया तो नहीं है