कोई ऐसा तो तिरे ब'अद नहीं रहना था
हालत-ए-हिज्र को उफ़्ताद नहीं रहना था
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ये जो रातों को मुझे ख़्वाब नहीं आते 'अता'
ज़िंदगी ख़्वाब है और ख़्वाब भी ऐसा कि मियाँ
ताबीर बताई जा चुकी है
मैं तो मिट्टी हो रहा था इश्क़ में लेकिन 'अता'
कल ख़्वाब में इक परी मिली थी
इक रात मैं सो नहीं सका था
फिर कोई दूर हुआ जाता है
इक अश्क बहा होगा
क्या हुए लोग पुराने जिन्हें देखा भी नहीं
किसी को ख़्वाब में अक्सर पुकारते हैं हम
दिल कोई फूल नहीं और सितारा भी नहीं