कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो
बहुत कड़ा है सफ़र थोड़ी दूर साथ चलो
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Javed Akhtar
Wasi Shah
Rahat Indori
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2777) Peoples Rate This
ये अब जो आग बना शहर शहर फैला है
जो ज़हर पी चुका हूँ तुम्हीं ने मुझे दिया
ले उड़ा फिर कोई ख़याल हमें
तअ'ना-ए-नश्शा न दो सब को कि कुछ सोख़्ता-जाँ
इक ये भी तो अंदाज़-ए-इलाज-ए-ग़म-ए-जाँ है
क़ुर्बत भी नहीं दिल से उतर भी नहीं जाता
अब शौक़ से कि जाँ से गुज़र जाना चाहिए
दो घड़ी उस से रहो दूर तो यूँ लगता है
जिस सम्त भी देखूँ नज़र आता है कि तुम हो
अब ज़मीं पर कोई गौतम न मोहम्मद न मसीह
दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है
अब दिल की तमन्ना है तो ऐ काश यही हो