उजाड़ घर में ये ख़ुशबू कहाँ से आई है
कोई तो है दर-ओ-दीवार के अलावा भी
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Gulzar
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Parveen Shakir
Habib Jalib
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(4143) Peoples Rate This
हमेशा के लिए मुझ से बिछड़ जा
जिस सम्त भी देखूँ नज़र आता है कि तुम हो
ज़िंदगी से यही गिला है मुझे
अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं
देखा मुझे तो तर्क-ए-तअल्लुक़ के बावजूद
ये किन नज़रों से तू ने आज देखा
सवाल
साक़िया एक नज़र जाम से पहले पहले
चल निकलती हैं ग़म-ए-यार से बातें क्या क्या
रात क्या सोए कि बाक़ी उम्र की नींद उड़ गई
करूँ न याद मगर किस तरह भुलाऊँ उसे
यूँही मौसम की अदा देख के याद आया है