Love Poetry of Ahmad Khayal

Love Poetry of Ahmad Khayal
नामअहमद ख़याल
अंग्रेज़ी नामAhmad Khayal
जन्म की तारीख1979

ये भी एजाज़ मुझे इश्क़ ने बख़्शा था कभी

महकते फूल सितारे दमकता चाँद धनक

ऐन मुमकिन है कि बीनाई मुझे धोका दे

ज़िंदगी ख़ौफ़ से तश्कील नहीं करनी मुझे

ये तअल्लुक़ तिरी पहचान बना सकता था

उसे इक अजनबी खिड़की से झाँका

उन को में कर्बला के महीने में लाऊँगा

क़यामत से क़यामत से गुज़ारे जा रहे थे

जुनूँ को रख़्त किया ख़ाक को लिबादा किया

जिस समय तेरा असर था मुझ में

ग़ुबार-ए-अब्र बन गया कमाल कर दिया गया

ग़ुबार अब्र बन गया कमाल कर दिया गया

फ़ना के दश्त में कब का उतर गया था मैं

दस्त-बस्तों को इशारा भी तो हो सकता है

दश्त ओ जुनूँ का सिलसिला मेरे लहू में आ गया

दश्त में वादी-ए-शादाब को छू कर आया

दरिया में दश्त दश्त में दरिया सराब है

ऐ तअ'स्सुब ज़दा दुनिया तिरे किरदार पे ख़ाक

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