तू मौजूद है मैं मादूम हूँ इस का मतलब ये है
तुझ में जो नापैद है प्यारे वो है मयस्सर मुझ में
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नए ज़मानों की चाप तो सर पे आ खड़ी थी
दुनिया से हर रिश्ता तोड़ा ख़ुद से रु-गर्दानी की
फ़क़ीर-ए-शहर भी रहा हूँ 'शहरयार' भी मगर
आईना बन के अपना तमाशा दिखाएँ हम
इल्म का दम भरना छोड़ो भी और अमल को भूल भी जाओ
कुन-फ़यकूं का हासिल यानी मिट्टी आग हवा और पानी
अभी हमें गुज़ारनी है एक उम्र-ए-मुख़्तसर
अश्क भेजें मौज उभारें अब्र जारी कीजिए
गुमान के लिए नहीं यक़ीन के लिए नहीं
न दस्तकें न सदा कौन दर पे आया है
दिया नसीब में नहीं सितारा बख़्त में नहीं
रातों को जागते हैं इसी वास्ते कि ख़्वाब