रफ़्ता रफ़्ता लफ़्ज़ गूँगे हो गए
और गहरी हो गईं ख़ामोशियाँ
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पॉप धमाके में हम भक्ती ढूँड रहे हैं
है वाहिमों का तमाशा यहाँ वहाँ देखो
चाँद में दरवेश है जुगनू में जोगी
जिस्म भूका है तो है रूह भी प्यासी मेरी
एक बच्चा ज़ेहन से पैसा कमाने की मशीन
तसव्वुर को जगा रक्खा है उस ने
ज़माना हो गया है ख़्वाब देखे
नौ-जवानों का क़बीला उस के पीछे चल पड़ा
इमरोज़ की कश्ती को डुबोने के लिए हूँ
कुछ शफ़क़ डूबते सूरज की बचा ली जाए
ये वक़्त रौशनी का मुख़्तसर है
मैं बात करने लगा था कि लफ़्ज़ गूँगे हुए