Love Poetry of Ahmad Shanas

Love Poetry of Ahmad Shanas
नामअहमद शनास
अंग्रेज़ी नामAhmad Shanas

फूल बाहर है कि अंदर है मिरे सीने में

लफ़्ज़ जब उतरा मिरी आँखें मुनव्वर हो गईं

चाँद में दरवेश है जुगनू में जोगी

बहुत छोटा सफ़र था ज़िंदगी का

बग़ैर-ए-जिस्म भी है जिस्म का एहसास ज़िंदा

ज़माना हो गया है ख़्वाब देखे

ज़माना हो गया है ख़्वाब देखे

ये वक़्त रौशनी का मुख़्तसर है

यहाँ हर लफ़्ज़ मअनी से जुदा है

तसव्वुर को जगा रक्खा है उस ने

सुब्ह-ए-वजूद हूँ कि शब-ए-इंतिज़ार हूँ

मोहब्बतों को कहीं और पाल कर देखो

मेरी रातों का सफ़र तूर नहीं हो सकता

मिरी आँखों में आ दिल में उतर पैवंद-ए-जाँ हो जा

मैं फ़तह-ए-ज़ात मंज़र तक न पहुँचा

लम्हा लम्हा रोज़ ओ शब को देर होती जाएगी

जिस्म के बयाबाँ में दर्द की दुआ माँगें

इमरोज़ की कश्ती को डुबोने के लिए हूँ

है वाहिमों का तमाशा यहाँ वहाँ देखो

बस इक जहान-ए-तहय्युर से आने वाला है

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