Love Poetry of Ahmad Shanas
नाम | अहमद शनास |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Shanas |
कविताएं
Ghazal 18
Couplets 28
Love 20
Sad 16
Heart Broken 21
Hope 10
Friendship 1
Islamic 4
Sufi 1
ख्वाब 9
Sharab 1
फूल बाहर है कि अंदर है मिरे सीने में
लफ़्ज़ जब उतरा मिरी आँखें मुनव्वर हो गईं
चाँद में दरवेश है जुगनू में जोगी
बहुत छोटा सफ़र था ज़िंदगी का
बग़ैर-ए-जिस्म भी है जिस्म का एहसास ज़िंदा
ज़माना हो गया है ख़्वाब देखे
ज़माना हो गया है ख़्वाब देखे
ये वक़्त रौशनी का मुख़्तसर है
यहाँ हर लफ़्ज़ मअनी से जुदा है
तसव्वुर को जगा रक्खा है उस ने
सुब्ह-ए-वजूद हूँ कि शब-ए-इंतिज़ार हूँ
मोहब्बतों को कहीं और पाल कर देखो
मेरी रातों का सफ़र तूर नहीं हो सकता
मिरी आँखों में आ दिल में उतर पैवंद-ए-जाँ हो जा
मैं फ़तह-ए-ज़ात मंज़र तक न पहुँचा
लम्हा लम्हा रोज़ ओ शब को देर होती जाएगी
जिस्म के बयाबाँ में दर्द की दुआ माँगें
इमरोज़ की कश्ती को डुबोने के लिए हूँ
है वाहिमों का तमाशा यहाँ वहाँ देखो
बस इक जहान-ए-तहय्युर से आने वाला है