दावा बहुत बड़ा है रियाज़ी में आप को
तूल-ए-शब-ए-फ़िराक़ को तो नाप दीजिए
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गले लगाएँ करें प्यार तुम को ईद के दिन
क्या ही रह रह के तबीअ'त मिरी घबराती है
नाज़ क्या इस पे जो बदला है ज़माने ने तुम्हें
रहमान के फ़रिश्ते गो हैं बहुत मुक़द्दस
वो लुत्फ़ अब हिन्दू मुसलमाँ में कहाँ
ये बात ग़लत कि दार-उल-इस्लाम है हिन्द
जब ग़म हुआ चढ़ा लीं दो बोतलें इकट्ठी
ग़ज़ब है वो ज़िद्दी बड़े हो गए
तश्बीह तिरे चेहरे को क्या दूँ गुल-ए-तर से
मिस सीमीं बदन
हर ज़र्रा चमकता है अनवार-ए-इलाही से
डिनर से तुम को फ़ुर्सत कम यहाँ फ़ाक़े से कम ख़ाली