एक तस्वीर खींच दी गोया
कैफ़-ए-सहबा-ए-अर्ग़वानी की
क्यूँ न मस्ती छलक पड़े रुख़ से
नींद और नींद भी जवानी की
Gulzar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Anwar Masood
Jaun Eliya
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दिल तो रोए मगर मैं गाए जाऊँ
फ़िदा-ए-मंज़िल-ए-बे-जादा हैं ख़ुदा रक्खे
आफ़तों में घिर गया हूँ ज़ीस्त से बे-ज़ार हूँ
दिल-ए-फ़सुर्दा में कुछ सोज़ ओ साज़ बाक़ी है
अब कहाँ हूँ कहाँ नहीं हूँ मैं
जीने की ब-ज़ाहिर नहीं कुछ आस हमें
सुनने वाले फ़साना तेरा है
आसूदगी-ए-ज़ात नहीं हो सकती
ये आज की दुनिया भी है मरने वाली
चर्ख़ की सई-ए-जफ़ा कोशिश नाकारा है
सदा कुछ ऐसी मिरे गोश-ए-दिल में आती है