आसूदगी-ए-ज़ात नहीं हो सकती
सैराबी-ए-जज़्बात नहीं हो सकती
जो इतनी तुनक-माया हो दुनिया उस में
मेरी गुज़र-औक़ात नहीं हो सकती
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Gulzar
Rahat Indori
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
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रगों में दौड़ती हैं बिजलियाँ लहू के एवज़
जिन को है ऐश-ए-दिल मयस्सर, वो
सोते में कोई आह भरी तो होगी
इस रुपहली शराब-ए-नूरीं से
सई-ए-राहत हो गई ख़्वाब-ओ-ख़याल
हवाएँ ख़ुनुक चाँदनी पुर-सुकूँ
गोशा-ए-बाग़ की मुलाक़ातें
नश्शा-ए-ख़्वाब में मदहोश है सारी दुनिया
सुना के अपने ऐश-ए-ताम की रूदाद के टुकड़े
दिल-ए-फ़सुर्दा में कुछ सोज़ ओ साज़ बाक़ी है
शबाब-ए-दर्द मिरी ज़िंदगी की सुब्ह सही
मोहब्बत है अज़िय्यत है हुजूम-ए-यास-ओ-हसरत है