फ़ज़ा है नूर की बारिश से सीम-गूँ इस वक़्त
जहान-ए-मस्त पे तारी है इक सकूँ इस वक़्त
न छेड़ दर्द-ए-जुदाई की दास्ताँ ऐ दिल
मुझे ख़बर नहीं मैं किस के पास हूँ इस वक़्त
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समझता हूँ मैं सब कुछ सिर्फ़ समझाना नहीं आता
आफ़तों में घिर गया हूँ ज़ीस्त से बे-ज़ार हूँ
मौत की सी पुर-सुकूँ वीरानियाँ
ये आरज़ुएँ ये जोश-ए-अलम ये सैल-ए-नशात
रगों में दौड़ती हैं बिजलियाँ लहू के एवज़
दिल-ए-फ़सुर्दा में कुछ सोज़ ओ साज़ बाक़ी है
हयात इंसाँ की सर ता पा ज़बाँ मालूम होती है
कोई मआल-ए-मोहब्बत मुझे बताओ नहीं
हमेशा वक़्त-ए-सहर जब क़रीब होता है
सरशार हूँ छलकते हुए जाम की क़सम
क़ल्ब ज़िंदा है लफ़्ज़ हैं बे-जान
चाँदनी, तारे, अब्र के टुकड़े