तेरे गीतों की लय अरे तौबा
ये तरब ये नशात और ये लोच
क्यूँ न दुनिया पिघल के बह जाए
इक ज़रा तू ही अपने दिल में सोच
Jaun Eliya
Habib Jalib
Gulzar
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Rahat Indori
Wasi Shah
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हर तरफ़ एक बे-हिजाबी है
उस से पूछे कोई चाहत के मज़े
रात को बैठ कर लब-ए-दरिया
साँसों में लिए कर्ब-ओ-बला जीता हूँ
फिरती हूँ लिए सोज़-ए-हयात आँखों में
इस तरह तबीअत कभी शैदा न हुई
झूमती है फ़ज़ा-ए-दश्त-ओ-जबल
नसीम, फूलों की रौनक़, खिले हुए तारे
हमेशा जागते ही जागते सहर कर दी
पिहना-ए-आसमाँ पे हैं तारी उदासियाँ
है ग़म-ए-रोज़गार का मौज़ूअ
ग़म-ए-दिल का इलाज दुनिया में