पिहना-ए-आसमाँ पे हैं तारी उदासियाँ
है है सुकूत-ए-शाम की प्यारी उदासियाँ
हंगामा-हा-ए-ज़ीस्त से फ़ुर्सत अगर मिले
रख लूँ उठा के दिल में ये सारी उदासियाँ
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अपनी उजड़ी हुई दुनिया की कहानी हूँ मैं
तश्कीक ने ईक़ान से महरूम रखा
हमेशा जागते ही जागते सहर कर दी
तक़दीर-ए-अज़ल आह तो भरती होगी
गोशा-ए-बाग़ और बज़्म-ए-तरब
उजड़ी दुनिया को बसाया है ज़रा देखो तो
ख़्वाहिश-ए-ऐश नहीं दर्द-ए-निहानी की क़सम
फ़िदा-ए-मंज़िल-ए-बे-जादा हैं ख़ुदा रक्खे
कुछ अपनी सताइश में मज़ा आता है
हो के बे-फ़िक्र तान उड़ाए जा
ये आज की दुनिया भी है मरने वाली
शबाब-ए-दर्द मिरी ज़िंदगी की सुब्ह सही