हो के बे-फ़िक्र तान उड़ाए जा
रागनी अपने मन की गाए जा
ग़म न कर रोज़गार का प्यारे
इश्क़ की बाँसुरी बजाए जा
Habib Jalib
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Anwar Masood
Rahat Indori
Ahmad Faraz
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मैं दिल को चीर के रख दूँ ये एक सूरत है
वो माज़ी जो है इक मजमुआ अश्कों और आहों का
क्या ख़ाक करम है जो मुझे तू बख़्शे
पुर-कैफ़ ज़ियाएँ होती हैं पुर-नूर उजाले होते हैं
हल्की हल्की फुवार के दौरान में
फुवार, अब्र, परिंदों के गीत, मस्त हवा
उन में रहती थी इक हँसी बन कर
इधर दिमाग़ हैं साकित दिलों को सकता है
क़ल्ब ज़िंदा है लफ़्ज़ हैं बे-जान
ग़म-ए-हयात कहानी है क़िस्सा-ख़्वाँ हूँ मैं
सुनने वाले फ़साना तेरा है
बातें करने में फूल झड़ते हैं