Sad Poetry of Aleem Akhtar

Sad Poetry of Aleem Akhtar
नामअलीम अख़्तर
अंग्रेज़ी नामAleem Akhtar
जन्म की तारीख1914
मौत की तिथि1972
जन्म स्थानMeerut

वो तअल्लुक़ है तिरे ग़म से कि अल्लाह अल्लाह

मेरी बेताबियों से घबरा कर

मेरे सुकून-ए-क़ल्ब को ले कर चले गए

मआल-ए-ज़ब्त-ए-पैहम हो गई है

हमें दुनिया में अपने ग़म से मतलब

दर्द का फिर मज़ा है जब 'अख़्तर'

दर्द बढ़ कर दवा न हो जाए

वो क्या गए पयाम-ए-सफ़र दे गए मुझे

तू अगर दिल-नवाज़ हो जाए

शरीक-ए-हाल-ए-दिल-ए-बे-क़रार आज भी है

निगाह-ए-लुत्फ़ क्या कम हो गई है

मोहब्बत क्या मोहब्बत का सिला क्या

मोहब्बत का रग-ओ-पै में मिरी रूह-ए-रवाँ होना

किसी के वादा-ए-फ़र्दा पर ए'तिबार तो है

दिल को शाइस्ता-ए-एहसास-ए-तमन्ना न करें

दर्द बढ़ कर दवा न हो जाए

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