हमें दुनिया में अपने ग़म से मतलब
ज़माने की ख़ुशी से वास्ता क्या
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वो क्या गए पयाम-ए-सफ़र दे गए मुझे
दिल को शाइस्ता-ए-एहसास-ए-तमन्ना न करें
दर्द बढ़ कर दवा न हो जाए
वो तअल्लुक़ है तिरे ग़म से कि अल्लाह अल्लाह
तू अगर दिल-नवाज़ हो जाए
मोहब्बत क्या मोहब्बत का सिला क्या
दर्द का फिर मज़ा है जब 'अख़्तर'
ये और बात कि इक़रार कर सकें न कभी
किसी के वादा-ए-फ़र्दा पर ए'तिबार तो है
मेरी बेताबियों से घबरा कर