मकानी हूँ कि आज़ाद-ए-मकाँ हूँ
जहाँ में हूँ कि ख़ुद सारा जहाँ हूँ
वो अपनी ला-मकानी में रहें मस्त
मुझे इतना बता दें मैं कहाँ हूँ
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Gulzar
Javed Akhtar
Habib Jalib
Wasi Shah
Rahat Indori
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(3621) Peoples Rate This
इल्तिजा-ए-मुसाफ़िर
शुआ-ए-उम्मीद
'अत्तार' हो 'रूमी' हो 'राज़ी' हो 'ग़ज़ाली' हो
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
ये हूरयान-ए-फ़रंगी दिल ओ नज़र का हिजाब
कहा 'इक़बाल' ने शैख़-ए-हरम से
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बूद न बेगाना-वार देख
यक़ीं मोहकम अमल पैहम मोहब्बत फ़ातेह-ए-आलम
तू ने ये क्या ग़ज़ब किया मुझ को भी फ़ाश कर दिया
जवानों को मिरी आह-ए-सहर दे
ख़िर्द-मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है