Islamic Poetry of Allama Iqbal (page 2)
नाम | अल्लामा इक़बाल |
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अंग्रेज़ी नाम | Allama Iqbal |
जन्म की तारीख | 1877 |
मौत की तिथि | 1938 |
जन्म स्थान | Lahore |
इबलीस की मजलिस-ए-शूरा
हिन्दुस्तानी बच्चों का क़ौमी गीत
एक नौ-जवान के नाम
ये कौन ग़ज़ल-ख़्वाँ है पुर-सोज़ ओ नशात-अंगेज़
ये हूरयान-ए-फ़रंगी दिल ओ नज़र का हिजाब
या रब ये जहान-ए-गुज़राँ ख़ूब है लेकिन
वो हर्फ़-ए-राज़ कि मुझ को सिखा गया है जुनूँ
तू अभी रहगुज़र में है क़ैद-ए-मक़ाम से गुज़र
तिरी निगाह फ़रोमाया हाथ है कोताह
समा सकता नहीं पहना-ए-फ़ितरत में मिरा सौदा
पूछ उस से कि मक़्बूल है फ़ितरत की गवाही
निगाह-ए-फ़क़्र में शान-ए-सिकंदरी क्या है
ने मोहरा बाक़ी ने मोहरा-बाज़ी
मुसलमाँ के लहू में है सलीक़ा दिल-नवाज़ी का
मिरी नवा से हुए ज़िंदा आरिफ़ ओ आमी
मजनूँ ने शहर छोड़ा तो सहरा भी छोड़ दे
कुशादा दस्त-ए-करम जब वो बे-नियाज़ करे
ख़िर्द-मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है
करेंगे अहल-ए-नज़र ताज़ा बस्तियाँ आबाद
कमाल-ए-जोश-ए-जुनूँ में रहा मैं गर्म-ए-तवाफ़
कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
जब इश्क़ सिखाता है आदाब-ए-ख़ुद-आगाही
इश्क़ से पैदा नवा-ए-ज़िंदगी में ज़ेर-ओ-बम
हज़ार ख़ौफ़ हो लेकिन ज़बाँ हो दिल की रफ़ीक़
फ़ितरत ने न बख़्शा मुझे अंदेशा-ए-चालाक
एजाज़ है किसी का या गर्दिश-ए-ज़माना
दिगर-गूँ है जहाँ तारों की गर्दिश तेज़ है साक़ी
अक़्ल गो आस्ताँ से दूर नहीं
अगर कज-रौ हैं अंजुम आसमाँ तेरा है या मेरा
आलम-ए-आब-ओ-ख़ाक-ओ-बाद सिर्र-ए-अयाँ है तू कि मैं