मसरूफ़ जो यूँ वज़ीफ़ा-ख़्वानी में हैं आप
ख़ैर अपनी समझते बे-ज़बानी में हैं आप
बोलें कुछ मुँह से या न बोलें हज़रत
मालूम है हम को जितने पानी में हैं आप
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
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Habib Jalib
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गुल-ओ-गुलचीं का गिला बुलबुल-ए-ख़ुश-लहजा न कर
हर सम्त गर्द-ए-नाक़ा-ए-लैला बुलंद है
मुख़ालिफ़त का जवाब ख़ामोशी से बेहतर नहीं
तक़ाज़ा-ए-सिन
चोर है दिल में कुछ न कुछ यारो
सख़्ती का जवाब नर्मी है
जब मायूसी दिलों पे छा जाती है
'हाली' सुख़न में 'शेफ़्ता' से मुस्तफ़ीद है
वस्ल का उस के दिल-ए-ज़ार तमन्नाई है
होती नहीं क़ुबूल दुआ तर्क-ए-इश्क़ की
मरज़-ए-पीरी ला-इलाज है
मेडिकल टेस्ट