हम ने अव्वल से पढ़ी है ये किताब आख़िर तक
हम से पूछे कोई होती है मोहब्बत कैसी
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धूम थी अपनी पारसाई की
घर है वहशत-ख़ेज़ और बस्ती उजाड़
इंक़लाब-ए-रोज़गार
बुरी और भली सब गुज़र जाएगी
मेडिकल टेस्ट
बात कुछ हम से बन न आई आज
दिल से ख़याल-ए-दोस्त भुलाया न जाएगा
चोर है दिल में कुछ न कुछ यारो
बे-क़रारी थी सब उम्मीद-ए-मुलाक़ात के साथ
यारान-ए-तेज़-गाम ने महमिल को जा लिया
हम जिस पे मर रहे हैं वो है बात ही कुछ और
मरज़-ए-पीरी ला-इलाज है