तुझ से माँगूँ मैं तुझी को कि सभी कुछ मिल जाए
सौ सवालों से यही एक सवाल अच्छा है
Gulzar
Habib Jalib
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Anwar Masood
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
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हटाओ आइना उम्मीद-वार हम भी हैं
दिल जो सीने में ज़ार सा है कुछ
सौ शेर एक जलसे में कहते थे हम 'अमीर'
वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसर
फ़ुर्क़त में मुँह लपेटे मैं इस तरह पड़ा हूँ
न बेवफ़ाई का डर था न ग़म जुदाई का
है वसिय्यत कि कफ़न मुझ को इसी का देना
पहले तो मुझे कहा निकालो
अल्लाह-री नज़ाकत-ए-जानाँ कि शेर में
अभी कमसिन हैं ज़िदें भी हैं निराली उन की
फ़िराक़-ए-यार ने बेचैन मुझ को रात भर रक्खा
हो गया बंद दर-ए-मै-कदा क्या क़हर हुआ