Khawab Poetry of Ameer Qazalbash

Khawab Poetry of Ameer Qazalbash
नामअमीर क़ज़लबाश
अंग्रेज़ी नामAmeer Qazalbash
जन्म की तारीख1943
मौत की तिथि2003
जन्म स्थानDelhi

इतना बेदारियों से काम न लो

वो सर-फिरी हवा थी सँभलना पड़ा मुझे

नदी के पार उजाला दिखाई देता है

मेरी पहचान है क्या मेरा पता दे मुझ को

क्या ख़रीदोगे चार आने में

ख़ौफ़ बन कर ये ख़याल आता है अक्सर मुझ को

जाने ये किस की बनाई हुई तस्वीरें हैं

हर एक हाथ में पत्थर दिखाई देता है

हाँ ये तौफ़ीक़ कभी मुझ को ख़ुदा देता था

इक परिंदा अभी उड़ान में है

आज की रात भी गुज़री है मिरी कल की तरह

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