एक ख़बर है तेरे लिए
दिल पर पत्थर भारी रख
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आइने से नज़र चुराते हैं
मेरी पहचान है क्या मेरा पता दे मुझ को
ख़ौफ़ बन कर ये ख़याल आता है अक्सर मुझ को
यकुम जनवरी है नया साल है
हर रहगुज़र में काहकशाँ छोड़ जाऊँगा
बनते हैं फ़रज़ाने लोग
आँखें खुली हुई हैं तो मंज़र भी आएगा
इक परिंदा अभी उड़ान में है
लोग बनते हैं होशियार बहुत
अपने हमराह ख़ुद चला करना
क्या ख़रीदोगे चार आने में
दामन पे लहू हाथ में ख़ंजर न मिलेगा