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ट्रैफ़िक के इक अफ़सर से ये बोलीं एक मुहतरमा
हमें मजबूर क्यूँ करते हो तुम रुकने-रुकाने पर
हमारी उम्र अब ऐसी है हम सीटी नहीं सुनते
रुका करते थे ख़ुश हो कर कभी सीटी बजाने पर
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ट्रैफ़िक के इक अफ़सर से ये बोलीं एक मुहतरमा
हमें मजबूर क्यूँ करते हो तुम रुकने-रुकाने पर
हमारी उम्र अब ऐसी है हम सीटी नहीं सुनते
रुका करते थे ख़ुश हो कर कभी सीटी बजाने पर
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