जब पढ़ा जौर ओ जफ़ा मैं ने तो आई ये सदा
ठीक से पढ़ उसे जोरू है जफ़ा से पहले
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मिस्टर कॉफ़ी
किया करते हैं दिलदारी दिल-आज़ारी नहीं करते
ब-मजबूरी हर इक रंज-ओ-मेहन लिखना पड़ा मुझ को
लिबास-ए-नौ में रक्खी है रिआयत ऐसी टेलर ने
हया गिरती हुई दीवार थी कल शब जहाँ मैं था
कोई ले ज़ोर की चुटकी तो है इंकार पोशीदा
इक छोड़ो हो इक और जो मिस मात करो हो