दास्तान-ए-शौक़-ए-दिल ऐसी नहीं थी मुख़्तसर
जी लगा कर तुम अगर सुनते मैं कहता और भी
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Habib Jalib
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Rahat Indori
Anwar Masood
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(739) Peoples Rate This
दिल-लगी में हसरत-ए-दिल कुछ निकल जाती तो है
कल मिरा था आज वो बुत ग़ैर का होने लगा
नासेह ख़ता मुआफ़ सुनें क्या बहार में
गर यही है पास-ए-आदाब-ए-सुकूत
चारासाज़-ए-ज़ख़्म-ए-दिल वक़्त-ए-रफ़ू रोने लगा
चाहता हूँ पहले ख़ुद-बीनी से मौत आए मुझे
करो न देर जहाँ में जहाँ से आगे चलो
बढ़ गई मय पीने से दिल की तमन्ना और भी
बस कि थी रोने की आदत वस्ल में भी यार से
पारसाई उन की जब याद आएगी
तड़पती देखता हूँ जब कोई शय